कविता

हिन्द के बाग में 

ये कौन आया? हिन्द के बाग में
यह कदम किसके है?
किसके नेत्र उठे हैं?
किसमें जगी ज्वालामुखी जैसी अग्नि
हिन्द के खिलाफ में
पहचान अभी बाकी है ं
पर नफरती कुछ जिस्में हैं
जहर उगलती लबे हैं
इंसानी लिवाज में
क्या तुम्हे याद है?
क्रुरता से कायरता तक का सफरनामा
जो दर्ज है सौ वषोॅ के इतिहास में
विदेशी
हाँ वही विदेशी जिसने उजाड़ दिया सिंहासन,
नौच लिए थे पर सोन चिड़िया के,
दुष्टता की, किए अत्याचार
जमा अपने ही साम्राज्य में
कारण एक नहीं पर एक कहो तो
गलत भी नहीं एकता के अभाव में
नये युग के आगमन वाले हिन्द की
समृद्ध खुशियों में
शत्रुता के बीज बोने फिर से
कोई विदेशी ही है
नापाक इरादे लिए साथ में
अब देर न करो हिन्द के वीर सपुतो
अहा्न हैं _____
आहुति देने का वक्त फिर से आ गया है
खदेड़ दो नापाकपरस्त और साजिशसार
दुश्मनों को , ढूँढ निकालो जो छिपे है
इंसानी नकाब में
कदमों को पहचानो जो ़बढे है
हिन्द्  के बाग में लिए मंशा रक्त की होली
खेलने बम, गोली, पत्थरबाजो को बना कर
हत्थियार में
— कवि बिनोद कुमार रजक

बिनोद कुमार रजक

प्रभारी शिक्षक न्यु डुवार्स हिन्दी जुनियर हाई स्कुल पोस्ट-चामुर्ची, गाम- न्यु डुवार्स टी जी, जिला-जलपाईगुड़ी पिन- 735207 पश्चिम बंगाल ई-मेल[email protected] Mob no-6297790768, 9093164309