राजनीति

तब्लीगी जमात आखिर क्या…?

आज चारो ओर अखण्ड विश्व कोरोना से पीडित हो रहा है, पर दु:खद है कि विश्व के खण्ड विखण्डित हो रहे हैं। ऐसे विकाराल काल में तब्लीगी जमात ने जो कार्य किया है उससे यह तो स्पष्ट सिद्ध हो जाता है कि इन जमातियों के लिए उनका देशहित कुछ भी नहीं है, उनको तो बस पक्का मुसलमान बनना है। पक्का मुसलमान वह जो तब्लीगी जमात की शिक्षाओं को पूर्ण रूप से मानता हो, जो अपने आकाओं के निर्देश पर तत्काल बिना विचार के अपने प्राणों की आहुति तक देकर किसी को भी अकारण ही मार देता हो। इन जमातियों की मान्यता है कि सम्पूर्ण विश्व में इस्लाम की ही सर्वोच्चता हो।
यह तब्लीगी जमात आज से ही उत्पन्न नहीं हुई है। हॉं, इतना अवश्य कहा जा सकता है कि अब तब्लीगी जमात एक वृक्ष के रूप में अनेक फल दे रही है। इस्लाम के सिद्धान्त ही एक—दूसरे की हिंसा को प्रेरित करते हैं, अत: इनके सिद्धान्तों पर बनीं सभी संस्थायें हिंसा को ही उजागर करेंगी। प्राय: देखने में आता है कि इन सिद्धान्तों को मानने वाले समस्त लोग देशद्रोह में दिखायी देते हैं।
देश के लोगों को इन लोगों का पता इसलिए नहीं चला कि ये लोग राजनीति से अप्रत्यक्ष सहयोग सदा प्राप्त रहता है। मैं अप्रत्यक्ष सहयोग की बात इसलिए कह रहा हूॅं कि मुझे वो दिन याद है जब स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती जो कि आर्यसमाज के अग्रगण्य संन्यासियों में से एक थे, जो शुद्धि आन्दोलन चलाते थे। 23 दिसम्बर 1926 को अब्दुल रशीद नामक तब्लीगी जमाती ने गोली मारकर हत्या कर दी। उनकी हत्या के दो दिन बाद 25 दिसम्बर, 1926 को गुवाहाटी में आयोजित कांग्रेस के अधिवेशन में जारी शोक प्रस्ताव में जो कुछ कहा वह सबको स्तब्ध करने वाला था। गांधी जी के शोक प्रस्ताव के उद्बोधन इस प्रकार कहा कि ‘मैंने अब्दुल रशीद को भाई कहा और मैं इसे दोहराता हूँ। मैं यहाँ तक कि उसे स्वामी जी की हत्या का दोषी भी नहीं मानता हूँ। वास्तव में दोषी वे लोग हैं जिन्होंने एक दूसरे के विरुद्ध घृणा की भावना को पैदा किया। इसलिए यह अवसर दुख प्रकट करने या आँसू बहाने का नहीं है।’ इसको सुनकर कौन बुद्धिजीवी नहीं कहेगा कि इनका राजनीति से सम्बन्ध नहीं होता।
तब्लीगी जमात जैसी अनेक गतिविधियां इस्लाम के ठेकेदारों द्वारा निरन्तर चलायी जा रहीं है। आज भी समय है कि सरकार ऐसी देशद्रोही गतिविधियों के विरुद्ध अपनी आवाज बुलन्द कर देशहित का बोध कराये। जिस प्रकार से इनकी संख्या में वृद्धि हो रही है उसको देखकर ऐसा लगता है कि वह दिन दूर नहीं जब देश में सर्वत्र करुण क्रन्दन ही क्रन्दन होगा।
— शिवदेव आर्य

शिवदेव आर्य

Name : Shivdev Arya Sampadak Arsh-jyoti: Shodh Patrika Add.- Gurukul Poundha,Dehradun, (U.K.)-248007 Mobi.-08810005096 e-mail- [email protected]