कविता

कौन

किसी के दर्द में
अब आँसू बहाता है कौन…
अगर कोई गिर जाये तो
उठाता है कौन?
थिरकते पैरों में बांध देते हैं घुंघरू
अब जिम्मेदारियां उठाता है कौन?
माँ – बाप हुए बूढ़े –
कभी छोटे के यहाँ तो
कभी बड़े के यहाँ…
उनके दर्द को समझता है कौन?
खामोश लबों पर उदासियाँ हजार
तिल-तिल घुटते हृदयों की
आज पीड़ा महसूस करता है कौन?
बाहर से हरे -भरे चमकते – दमकते
दिखते हैं जो महल
वे अन्दर से हो चुके हैं खंडहर
पर उनकी असलियत देखता है कौन ?
प्रेम की भाषा बड़ी अनमोल
पर बोलता है कौन…
सच्ची कलम लिखती है सच-सच
पर पढ़ता है कौन?

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111