गीत/नवगीत

अब तो जल्दी जाओ

बहुत हो चुका राग न ज्यादा
हमको और सुनाओ
जाओ-जाओ-जाओ,जाओ
अब तो जल्दी जाओ

आकर दहशत फैलाना, यह
रंच हमें ना भाये
काल सरीखी चाल तुम्हारी
पल-पल हमें डराये
बोरी-बिस्तर जल्दी-पल्दी
अपना तुरत उठाओ

तुम्हरे कारण घर बैठे सब
बंद किये दरवाज़े
सारी जनता परेशान तुम
बजा रहे हो बाजे
पिण्ड छोड़ दो, करो कृपा अब
प्रीति के दीप जलाओ

परम्परा है यही हमारी
करें सभी का स्वागत
गले लगाया जो भी आया
कैसा भी हो आगत
कड़ी परीक्षा की घड़ियां मत
हमसे और गिनाओ

सहनशील अति धैर्यवान है
क्या तुमको पता नहीं
तुम आये हो दूर देश से
इसमें तेरी खता नहीं
विनय कर रहे हाथ जोड़कर
सिंह न सोये जगाओ

छिपकर वार किया है तुमने
सब के सब आतंकित
पता चल गई जाति तुम्हारी
युग में हुये कलंकित
कितनों को जप लिया अभी तक
पाप न और कमाओ

बहुत हो चुका राग न ज्यादा
हमको और सुनाओ
जाओ-जाओ-जाओ,जाओ
अब तो जल्दी जाओ

— जयराम जय

जयराम जय

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