सूरज न सही, राह में चराग बाले रखिए।
जाना है बहुत दूर, दिलों में उजाले रखिए।
ये तो वो भी जानता है के सच और झूठ क्या है,
डण्डे को जोर है, अपने मुंह पर ताले रखिए।
रहोगे घर में, तो कुछ बिगड़ नही जायेगा,
के मुश्किल दौर है खुद को सँभाले रखिए।
खैरात में नही, लड कर जीतना है ये जंग,
हुजूर लाख गलतफहमियां पाले रखिए।
रखों फासले अभी, बस ख्वाबों में मुलाकात हो,
वक्त ठीक नही, मिलना मिलाना टाले रखिए।
— ओमप्रकाश बिन्जवे “राजसागर”