लघुकथा

सारी अन्कल

दिलीप अन्कल नमस्कार। सारी। इस लाकडाउन समय में आपके टिप्स काम कर रहे हैं। फास्ट फुड कम खाइए, घर में मम्मी के हाथ का बना भोजन ही सबसे अच्छा होता है, जन्मदिन की पार्टी में अनावश्यक खर्च कर दिखावा मत करिए, घर के पौधों में पानी नियमित दीजिए, कुछ समय दादा दादी के पास बैठकर कहानियाँ सुनिए, न्यूजपेपर की दुकान से नई पत्रिकाएं लाकर पढिए, रुचि की गतिविधियों चित्रकला म्यूजिक डान्स सीखिए इत्यादि इत्यादि। इस समय जब स्कूल बंद हैं एवं पूरे समय घर में ही रहना है, तब हम इन टिप्स का पालन करने का प्रयास कर समय का सदुपयोग कर रहे हैं। मेरे जन्मदिन पर जब आपने मुझे पुस्तकें उपहार स्वरूप प्रदान की थी तो मैंने उन्हें अलमारी में एक कोने में रख दी थी। उस समय मुझे उनकी कोई उपयोगिता महसूस नहीं हुई थी, पर इस समय वे अनमोल किताबें ही मेरी बेस्ट मित्र हैं। अन्कल, आपके टिप्स का हम बच्चे कक्षा में मजाक बनाया करते थे, लेकिन इस समय हम सभी को अपनी गलती स्वीकार करने में कोई शर्म नहीं है। मम्मी के हाथ का हलवा भी अब काजू की मिठाई से अधिक स्वादिष्ट लगता है। गत सप्ताह मेरे जन्मदिन पर केक मिलना तो सम्भव नहीं था, पर घर में भाभी के बनाए बेसन के लड्डू केक से अधिक स्वादिष्ट थे। मम्मी के हाथ के छोले भटूरे भी पिज्जा चाउमिन से अधिक अच्छे लगे। अपनी गलतियों के लिए माफी मांग रहा हूँ। आपके टिप्स का महत्व इस समय समझ में आ रहा है। लाकडाउन समय समाप्त होने पर भी इन का पालन करने का प्रयास रहेगा। प्रणाम अन्कल एवं एक बार फिर सारी अन्कल।

सादर – एक कुपुत्र जय।

— दिलीप भाटिया

*दिलीप भाटिया

जन्म 26 दिसम्बर 1947 इंजीनियरिंग में डिप्लोमा और डिग्री, 38 वर्ष परमाणु ऊर्जा विभाग में सेवा, अवकाश प्राप्त वैज्ञानिक अधिकारी