दूर से गूफ्तगु
भीड़ बहुत है ,
मेरे शहर में पर ,
कोई करीब नहीं ,
दूर से गुफ्तगू करें ।
दिल के आशियाने ,
दस्तक दे रहे पर
कोई करीब नहीं
दूर से गुफ्तगू करें ।
स्वप्न मुस्कुराते है
मन के आँगन में ,
ढूँढे दिल वो नहीं है,
दूर से गुफ्तगू करें ।
सावन गुजर गया ,
यौवन निखर गया ,
इन्तजार में ही तेरे ,
दूर से गुफ्तगू करें ।
जीवन ने रङ्ग बदले ,
प्रकृति ने करवट ली ,
कोरोना काल में हम
दूर से गुफ्तगू करें ।।
— विनोद कुमार जैन वाग्वर सागवाड़ा