लॉकडाउन के बाद घटेंगे रोजगार
दुनिया में अब कई तरह की नौकरियों में रोबोट इंसानों की जगह लेने जा रहे हैं.। कोरोना वायरस से पैदा हुए संकट ने इस दिशा में प्रयासों को और बढ़ा दिया है.। आने वाले वक्त में रोबोट अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा हो जाएंगे, कोविड-19 का असर उपभोक्ताओं की प्राथमिकताओं को बदलने जा रहा है। यह ऑटोमेशन के लिए नए अवसर खोलने जा रहा है।.छोटी-बड़ी सभी कंपनियां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए रोबोट्स का इस्तेमाल कर रही हैं और वैसे कर्मचारियों को कम कर रही है, जिन्हें काम करने के लिए दफ्तर जाना जरूरी होता है.।
अमेरिका की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी वालमार्ट अपने यहाँ फर्श साफ करने के लिए रोबोट का इस्तेमाल कर रही है दक्षिण कोरिया में तापमान लेने और सैनिटाइजर बांटने के लिए भी रोबोट का इस्तेमाल किया जा रहा है। हेल्थ एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि 2021 तक काम की जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत पड़ सकती है। ऐसा हुआ तो रोबोट की मांग बढ़ने वाली है.।साफ-सफाई बरतने में मददगार होंगे रोबोटसाफ-सफाई और सैनिटाइज करने वाले उत्पाद बनाने वाली कंपनियों की मांग बढ़ी है अल्ट्रावायलेट लाइट वाले रोबोट बनाने वाली डेनमार्क की कंपनी यूवीडी रोबोट ने चीन और यूरोप में सैकड़ों मशीनें भेजी हैं.
किराने की दुकान और रेस्त्रां होम डिलिवरी भेजने के लिए भी रोबोट का इस्तेमाल कर रहे हैं विश्लेषकों का कहना है कि जैसे-जैसे लॉकडाउन खत्म होगा और बाजार खुलना शुरू होंगे वैसे-वैसे हम इस तकनीक का इस्तेमाल ज्यादा होते देखने की उम्मीद कर सकते हैं.। हो सकता है कि आपके स्कूल-कॉलेजों की सफाई भी रोबोट ही करें.। कस्टमर ऑफ द फ्यूचर किताब के लेखक ब्लेक मॉर्गन के अनुसार ग्राहक अपनी सुरक्षा का ध्यान ज््यादा कर रहे हैं।. वे काम करने वालों के स्वास्थ्य के बारे में भी सोच रहे हैं.। ऑटोमेशन इन सभी को स्वस्थ्य रख सकता है। ग्राहक ऐसा करने वाली कंपनियों की सराहना भी करेंगे.।हालांकि मॉर्गन इसकी सीमाओं की तरफ भी ध्यान दिलाते हैं.। वे कहते हैं भले ही ऑटोमेशन रिटेल मार्केट में इंसानों की भूमिका को कम कर दे लेकिन कुछ ऐसे काम होते हैं जिसमें रोबोट शायद उतने कामयाब ना हो., जिनमें टूटने-फूटने का खतरा हो.। तब ऐसे मामलों में ग्राहक इस सेवा को लेना पसंद नहीं करेंगे और इंसानों पर ही भरोसा करेंगे।
फूड सर्विस भी एक ऐसा क्षेत्र है जहां स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताओं की वजह से रोबोट का इस्तेमाल बढ़ने की संभावना है.। मैक-डोनाल्ड जैसे फूड कंपनी खाना पकाने और उसे सर्व करने में रोबोट के इस्तेमाल का परीक्षण कर रही है.। अमेजन और वॉलमार्ट के गोदामों में पहले से ही रोबोट का इस्तेमाल किया जा रहा है.। अब कोविड-19 की वजह से दोनों ही कंपनियां सामान की पैकेजिंग और उसे भेजने में रोबोट के इस्तेमाल को बढ़ाने पर विचार कर रही हैं। इससे इनके गोदामों में काम करने वाले कामगारों की उस शिकायत को दूर किया जा सकता है, जिनमें वे कहते हैं कि अपने साथ काम करने वाले सहकर्मियों के साथ सोशल डिस्टेंसिंग नहीं बरत पा रहे हैं.।लेकिन विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि इससे कई लोगों की नौकरियां भी चली जाएंगी.।
एक बार जहां कामगारों की जगह लेने में रोबोट ने कामयाबी हासिल कर ली तो फिर इसकी संभावना शायद ही हो कि कंपनी फिर उस जगह के लिए किसी को रखे.। रोबोट को बनाने और उसका व्यापारिक इस्तेमाल शुरू करने में खर्च जरूर ज््यादा है लेकिन जैसे ही एक बार रोबोट तैयार हो गया और उसे काम में लिया जाना शुरू कर दिया गया, वैसे ही रोबोट मानव श्रम से सस्ता होगा। मार्टिन फोर्ट के मुताबिक कोविड-19 के बाद रोबोट का इस्तेमाल बाजार के लिये फायदेमंद साबित होने वाला है.। लोग वहां जाना पसंद करेंगे जहां इंसान कम और मशीनें ज्यादा होंगी क्योंकि वे वहां जोखिम कम महसूस करेंगे.।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इस तरह से विकसित किया जा रहा है, जो स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों, फिटनेस ट्रेनर और वित्तीय मामलों में सलाह देने वालों की जगह भी ले सके.।तकनीकी क्षेत्र की बड़ी कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल बढ़ा रही है.। फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियां भी किसी गलत पोस्ट को हटाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा ले रही हैं.रोबोट की संभावनाओं को लेकर संशय जताने वाले लोगों का मानना है कि इन नौकरियों में इंसानों को रोबोट के ऊपर बढ़त हासिल रहेगी। लेकिन यह तस्वीर बदल सकती है क्योंकि लॉकडाउन की वजह से लोग घर बैठे सुविधाएं लेने से और ज्यादा आरामदेह हो गए हैं.।
विशेषज्ञ मैककिंसी ने 2017 की एक रिपोर्ट में इस बात का अनुमान लगाया था कि अमरीका में एक-तिहाई कामगार 2030 तक ऑटोमेशन और रोबोट की वजह से अपनी नौकरी गंवा बैठेंगे। लेकिन महामारी में वह ताकत होती है कि वह समय की सभी तय सीमाओं को बदल सकता है और अब यह इंसानों को तय करना है कि वह इस तकनीक के साथ दुनिया में कैसे तालमेल बिठाते हैं।
— निरंकार सिंह