कविता

सौगंध

नहीं जानती तुम मां भारती
मैं तुमको कितना चाहता हूँ
इसीलिए तुम्हारी रक्षा की
सौगंध आज मैं खाता हूँ।
आँच नहीं आने दूंगा मैं
तुम्हारी आन-बान और शान पर मै।
लड़ता जाऊंगा तुम्हारी खातिर
अपनी आखिरी सांस तक मैं।
मां का आचल , बहन की राखी
रोक नहीं पाएगी मुझे तुम्हारी रक्षा से।
क्योंकि वादा करा हैं मैंने तुम्हारी रक्षा का
अपने शहीद पिता जी से
तुम्हारे खातिर शहादत भी मुझे प्यारी है
क्योंकि जान से प्यारी मुझे तेरी खुशहाली है।

श्रीयांश गुप्ता

 

श्रीयांश गुप्ता

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