मुक्तक/दोहा

उम्मीद की इक किरण

उम्मीद की इक किरण को यूँ जलाएं रखना,

उम्मीद से हर कदम को ही कामयाब करना।
अन्याय व शोषण के खिलाफ़ हो जा मुखर,
कुछ भी हो जाए जुल्मों को कभी न सहना।।
कोई माने तो आसानी से समझा उसे सकते,
उम्मीद पर आसमां के तारे को तोड़ सकते।
इक आशा हो, जीत सकते हैं हम बड़ी जंग,
आशाओं के नित हम दीप जला हैं सकते।।
उम्मीद की बदौलत खोया विश्वास हम पाएँ,
उम्मीद से धन दौलत पद प्रतिष्ठा पा जाएँ।
आँधियों व तूफ़ान से लड़ कर जीत हासिल,
उम्मीद के बल पर ख़ुशियाँ हमें मिल जाएँ।।
उम्मीद से हौसले बुलंद कर बदल दें इतिहास,
सत्पथ पर चल कर जीवन में होगी नई आस।
उम्मीद व कर्म से सिकंदर बना विश्व विजेता,
दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलें यदि करें प्रयास।।
उम्मीद के सहारे हर मुश्किलें हो जाएं आसान,
सतत सद्कर्मों से बनती  हमारी एक पहचान।
उम्मीद से  हमारे जीवन  में आ जाती है बहार,
अपने बुराइयों को तज कर बनें यूँ नेक इंसान।।
उम्मीद पर चलकर अशोक हुआ सम्राट महान,
पढ़ लिख कर कोई भी बन सकता एक विद्वान।
आँखों पर पट्टी बांध कर उम्मीद से चल सकते,
उम्मीद के सहारे खेती से अन्न उगाता  किसान।।
— लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

सहायक अध्यापक मोहल्ला-बैरिहवा, पोस्ट-गाँधी नगर, जिला-बस्ती, 272001-उत्तर प्रदेश मोबाइल नं-7355309428