कोरोना तुम क्यों आए?
मैंने चीन में लिया है जन्म,
मानव को सद्बुद्धि देने आया हूँ मैं,
डरो नहीं मुझसे! बस रखो थोड़ा ध्यान,
स्वच्छता और सफ़ाई का।
ज़रूरी हो तभी निकलो घर से,
मुँह पर लगाकर मास्क,
और हाथों में पहनकर दस्ताने,
जेब में रखो साबुन या सेनिटाईजर।
करलो ध्यान उस परम पूज्य भगवान का,
जिसने यह दुनिया है बनाई,
और घर में रहकर करलो सेवा,
अपने बड़े-बुजुर्गों की।
जिन्हें सब नकारने लगे थे,
अपनी इच्छाओं की पूर्ति हेतु,
ज़िंदगी कितनी अनमोल है?
आया हूँ इसका अर्थ सिखाने।
अगर अभी भी नहीं हुए सावधान,
तो पूरे विश्व को बनाऊँगा अपना ग्रास।
बात मेरी मानो और परिचय दो,
अपनी कार्य कुशलता का।
हूँ…आई बात समझ में मेरी अब,
अगर दिखाई दे कोई कोरोना का लक्षण,
तो हेल्पलाइन नंबर है मिलाना,
दूरी है रखनी स्वस्थ व्यक्तियों से।
ताकि न लें वह महामारी का रूप,
हमने भी अब निश्चय कर लिया,
है तुमको अपनी दुनिया से दूर भगाना,
ज़िंदगी को फिर पटरी पर है लाना।
— नूतन गर्ग (दिल्ली)