अंतर्राष्ट्रीय प्रेस दिवस : प्रेस को और सशक्त बनाने के संकल्प का दिवस
3 मई अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस स्वतंत्रता के मूल सिद्धांतों के जश्न का दिन होता है। लोकतंत्र के इतिहास के नजरिये से भी यह काफी अहम दिन है।
यह लोगों को याद दिलाता है कि कई पत्रकारों ने दैनिक समाचारो एवं समाचार पत्रों को जनता तक पहुंचाने में अपने मौत का भी फिक्र नहीं किया और अपने प्राण गवा दिए।यह दिवस प्रेस को और सशक्त बनाने के संकल्प का दिवस है।3मई सार्वजनिक अवकाश का दिन तो नहीं है लेकिन वैश्विक अवलोकन का दिन अवश्य हैं।
प्रत्येक वर्ष अलग-अलग थीम (विषय)के साथ इसे मनाया जाता है। इस वर्ष 2020 का थीम है:- Journalism Without Fear or Favour.
अर्थात “डर और पक्षपात विहीन पत्रकारिता”।इसके साथ ही इसके उप विषय भी है उप विषय में शामिल बिंदु:- 1.महिला एवं पुरुष पत्रकारों एवं मीडिया कर्मियों की सुरक्षा। 2.मीडिया के हर पहलू में लैंगिक समानता मतलब सभी को आर्थिक भागीदारी एवं निर्णय-प्रक्रिया में समान रूप से देखा जाना।
3.स्वतंत्र और व्यवसायिक पत्रकारिता राजनीतिक और वाणिज्य प्रभाव से मुक्त।
इसकी मेजबानी प्रत्येक वर्ष अलग अलग देश द्वारा किया जाता हैं इस वर्ष 2020 में इसकी मेजबानी नीदरलैंड कर रहा है।
वर्ष 1993 में पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व प्रेस दिवस स्वतंत्रता मनाने की घोषणा की गई थी। 3 मई 1991 को अफ्रीकी समाचारपत्रों के पत्रकारों द्वारा जारी किए गए विंड हॉक की घोषणापत्र की वर्षगांठ भी इसी दिन है। वर्ष1997 से प्रत्येक वर्ष यूनेस्को द्वारा 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर “गिलेरमो कानो विश्व प्रेस आजादी” का इनाम उन व्यक्ति या संस्थान को प्रदान किया जाता है जिन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने,प्रेस की स्वतंत्रता के लिए उत्कृष्ट कार्य किया हो।
बात अगर भारत में प्रेस की भूमिका की हो तो भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 में भारत में प्रेस की स्वतंत्रता भारतीयों को मिले अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार से सुनिश्चित होती है।
जेम्स ऑगस्टस हिक्की भारत के प्रथम पत्रकार थे, जो ब्रिटिश सरकार से प्रेस की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किए। वे बंगाल गजट समाचार पत्र के संस्थापक थे और संपादक भी थे। ब्रिटिश सरकार ने भारत के लोगों की बातों को दबाने का सदैव ही प्रयास किया पर प्रेस ने आजादी के नारों को और बुलंद किया। 2 पन्नों का “बंगाल गजट” 29 जनवरी 1780 को पहली बार कलकत्ता से प्रकाशित हुआ। इसमें अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ व्यंग्य के रूप में कई प्रकाशन किए गए। अंग्रेजी हुकूमत द्वारा हिक्की से कई बार प्रश्न पूछे गए कि वो ऐसा क्यों कर रहे? उन्हें दबाव दिया गया कि इस प्रकार का कोई भी प्रकाशन ना किया जाए। इस पर हिक्की का जवाब था कि किसी समाचार पत्र का संपादक यह मानकर चलता है कि एक-एक नागरिक और समाचार पत्र की आजादी आवश्यक है। उन्होंने कहा जनता की आवाज दबाना समाज के लिए घातक साबित हो सकता है।आज भी कलकत्ता स्थित नेशनल लाइब्रेरी में उनके प्रकाशन की एक प्रति सुरक्षित रखी गयी है, जिसे देख भारत ही नही दुनियां भरके समस्त पत्रकार अपने को गर्वान्वित समझते है।उनके जज्बे को सलाम करते है।सत्य तो यह है कि हिक्की ने ब्रिटिश हुकूमत को प्रेस की ताक़त का एहसास करा दिया था।
अप्रैल 2020 को जारी रिपोर्टस विदाउट बोर्डस जिसका मुख्यालय पेरिस में है उसके वार्षिक विश्लेषण के अनुसार वैश्विक प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 180 देशों को शामिल किया गया। इसमे भारत दो स्थान नीचे उतरकर 142 वें नंबर पर आया है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2019 में किसी भी पत्रकार की हत्या नहीं हुई और इस तरह देश के मीडिया के लिए सुरक्षा स्थिति में सुधार नजर आया हैं।
इस दिवस को जश्न के रूप में मनाने के साथ-साथ इसका उद्देश्य दुनिया भर में प्रेस की क्या स्थिति है, उसे किस प्रकार स्वतंत्रता मिल पा रही है या नहीं इससे जुड़े तमाम विषयों आकलन करना है। मीडिया की रक्षा कैसे की जाए यह भी इसका दायित्व है। इस दिन उन पत्रकारों को श्रद्धांजलि दी जाती है जिन्होंने अपने कर्तव्य का पालन सत्यनिष्ठा से करते हुए अपने प्राण गवा दिए। कई संगठन और व्यक्ति द्वारा इस दिन अलग-अलग प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और काफी लोग इस कार्यक्रम में भाग लेते हैं।
प्रेस या मीडिया सरकार और आम नागरिकों के बीच की कड़ी है। यह जनता की आवाज बनकर जनता की आवाज सरकार तक पहुचाने का काम करती हैं।
प्रेस जगत पर हो रहे हमले पर सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। हमें ध्यान देना होगा पत्रकारिता एक पेशा नही बल्कि जनता की सेवा करने का माध्यम भी हैं।उनपर हो रहे हमले,हत्या इत्यादि को रोकने की जरूरत हैं।
कोरोना संकट के कारण प्रेस और मीडिया जगत की पहल सराहनीय हैं।इस मुश्किल वक्त में भी अपने प्राण को दांव पर लगा के रिपोर्टिंग करना,खबरे जुटाना और लोगो तक पहुँचाना उनके अदम्य साहस को प्रदर्शित कर रहा हैं।सभी को मिलकर मीडिया और प्रेस को और सशक्त बनाने की जरूरत है।
✍🏻 राजीव नंदन मिश्र (नन्हें)