मिलने को आती नही
है कहाँ मुझसे मिलने को आती नही
फोन भी लगाऊ तो वो उठाती नही
हो गई है क्या बात जो रूठी हो तुम
पूछ रहा कबसे मगर तुम बताती नही
वो गई जबसे दूर जिंदगी में है गम
खुशी दूर हो गई खुशियां आती नही
खोया हूँ खयालो में तेरे इसकदर
कोई भी आवाज दे अब सुनाती नही
डायरी लिखती है उसमें लिखती है सब
डायरी से अपनी वो कुछ छुपाती नही
है बड़ी कलाकार वो पेंटिंग करती है
प्यार के रंग में फिर क्यूँ रंग जाती नही
हाथ थामा किसी ने किसी का शिवेश
पहली मुहब्बत कभी भी भुलाती नही
-शिवेश हरसूदी, हरदा