मुक्तक/दोहा

मुक्तक

प्रीति में बाँधे उसी एक डोर जैसी हो
तुम बनारस की सुहानी भोर जैसी हो
मैं जहाँ पर प्रेम की चौपाई पढ़ता हूँ
तुम उसी गंगा के पावन छोर जैसी हो
— अंकुर शुक्ल ‘अनंत’

अंकुर शुक्ल 'अनंत'

कानपुर,उत्तर प्रदेश M- 7398929202