गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

इधर   में   लॉकडाउन   है   उधर   में   लॉकडाउन है,
रहो घर में मियाँ  कुछ  दिन  शहर  में  लॉकडाउन है।
अज़ब दहशत खड़ी दर पर  शहर मक़्तल में हैं बदले,
अभावों  में  भले   ही   हो  असर  में  लॉकडाउन  है।
ख़बर  जलते  घरानों   की  नहीं  मरते  किसानों  की,
कई  अख़बार  हैं  लेकिन   ख़बर  में  लॉकडाउन  है।
इधर  हम  छींक भी  दे तो  ख़बर अख़बार  आ जाए,
विपद  के   दौर  में   हैं  हम  नज़र  में लॉकडाउन है।
सियासत  देखकर  इस देश  की  तकलीफ़  से रोया,
यहाँ  कुछ  कह  रहे  नेता  किधर  में  लॉकडाउन है।
हमारा  मुल्क   सबसे   भिन्न   है  संसार  में  लेकिन,
मिलाकर  चल  रहा  कन्धा  दहर  में  लॉकडाउन है।
मुसलसल  जंग  जारी  है  अतुल अब जीतना होगा,
रखें  दूरी  बना  कर  हम  जिगर  में  लॉकडाउन  है।।

अतुल कुमार यादव

पेशा- साफ्टवेयर इंजी० रुचि : साहित्य लेखन-विधा : गीत, ग़ज़ल, नज़्म, मुक्तक, कहानी, कविता, उपन्यास।