मां तुमसे ही जाना
मां, मैंने तुमसे ही जाना
चलना फिरना पीना खाना
दुनिया का ताना-बाना
मां मैंने तुमसे ही जाना
हारी बाजी टूटे सपने
विपदाएं और झूठे अपने
निर्मल मन से अपनाना
मां मैंने तुमसे ही जाना
अंजान जहां जब था सारा
रात अंधेरी एक ना तारा
ऐसे में दीपक बन जाना
मां मैंने तुमसे ही जाना
कीट पतंगे कांकड़ पाती
किसके आगे दुखड़ा गाती
कैसे चुनती चिड़िया दाना
मां मैंने तुमसे ही जाना
बच्चों को ममता दे कर
कोई मोल नहीं लेकर
आंसू पोछ हंसते जाना
मां मैंने तुमसे ही जाना
– शिप्रा खरे शुक्ला
(गोला-खीरी)