कितना घबराया है इस हालात से आदमी
वाकिफ हो गया अपनी औकात से आदमी
कितना घबराया है इस हालात से आदमी
बादशाह-ए- कुदरत समझ बैठा था नादान
पस्त बैठा है अपने घर पे शह मात से आदमी
किस-किस की मौत लिखी है कोरोना से
घबरा रहा है ऐसे-ऐसे सवालात से आदमी
जिनसे मिलने को निकलता था घर से रोज
आज डर रहा है उनकी मुलाकात से आदमी
रिश्तों की बेकद्री करता था गरूर में डूबकर
समझ रहा है रिश्ते अब जज़्बात से आदमी
कुदरत भी खुदको संवार रही है इत्मिनान से
रोक ना पाया इसे अपनी हयात से आदमी
पूरी दुनिया में मौत का मंज़र देख लिया
शायद अब तो डरे खुदा की लात से आदमी