कविता
वह संपूर्ण है
रिश्तों को जोड़ती हुई
कड़ी वो परिपूर्ण है।
वह ज्वाला है
खुशियाँ बिखेरती हुई
एक नायाब उजाला है।
वह खुबसूरत है
हर त्याग में बेझिझक
सहनशीलता की मूरत है।
वह एक बुनियाद है
हर मुश्किल जिसके आगे
बेबुनियाद है।
वह एक माँ है
अपनी दुनिया को रोशन करती हुई
एक हसीन शौहरत है।
— प्रिया राठी