हौसला रखिये
भूल गए है सभ्यता ,
भूल गए है संस्कृति ,
कर रहे है सियासत ,
मर रहा है आमजन ,
छात्र हो या मजदूर.,
राज को क्या पड़ी ,
बस अच्छी हो या बुरी ,
ठीक हो या भंगार ,
घर या सडक पर मरें ,
कर रहे है सियासत ,
मर रहा है आमजन ,
सभी दल सेंक रहे है ,
अपनी अपनी रोटियाँ ,
मानवता जर्जर हुई ,
कोरोना के काल में ,
केकड़े की नसीहत ,
दीमक की फजीहत ,
पर है दोनो एक जैसे ,
केकडा बाप को और
दीमक माँ को खाता है
और राष्ट्र नेता आमजन को ,
सभ्यता व संस्कृति कहती है ,
सच की सुनिए ,
दिल की गुनिए ,
दो गज दुरी चुनिए ,
सावधान रहिए , स्वस्थ रहिए
हौसला रखिए
तभी दुआ और दवा काम आएगी ,
फिर भी न माने तो
खूद ही खूद की रवानगी आएगी ।।
विनोद कुमार जैन वाग्वर सागवाड़ा