लघुकथा

अवॉर्ड

रमाकान्त को आज बेस्ट टीचर का अवॉर्ड मिलने वाला था।शिक्षा विभाग की तरफ से स्वयं शिक्षा मंत्री उन्हें यह विशेष सम्मान प्रदान करने वाले हैं।उनकी आयु भी अधिक नहीं थी।वह मात्र 27 साल के थे।टीचर के रूप में उनका कार्यकाल भी काफी छोटा था। पर उनकी मेहनत लगन कलाम की थी! विद्यार्थी उनसे इतने सवाल जवाब करते थे।पर वह उन्हें कभी निराश नहीं करते थे।इसी कारण उनके विधार्थियो का परीक्षा परिणाम सौ प्रतिशत था।उनकी इस उपलब्धि पर सभी सीनियर टीचर हैरान- परेशान थे।शिक्षा मंत्री ने रमाकान्त को बेस्ट टीचर के अवॉर्ड से सम्मानित किया। मंत्री जी ने उनसे इस सफलता का कारण बताने को कहा।रमाकान्त ने सभी का अभिवादन किया।मैं पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थी था।मेरे टीचर मुझसे लगातार बचने का प्रयास करते थे।उन्हें मैं बड़ा पकाऊ लगता था।क्योंकि मैं बहुत सवाल पूछता था।आप सभी जानते हो,विद्यार्थियों के मन में उठने वाली जिज्ञासा को शान्त करना टीचर का कर्तव्य होता है।ये मेरा दुर्भाग्य ही था कि मेरे टीचर मुझें लगातार झिड़क देते थे। मैंने अपनी निराशा को आशा में बदल लिया।खूब मेहनत की,पर सवाल करने बन्द नहीं किए।इसी कारण आज आपके सामने हूँ।मंत्री जी ने कहा आप उन टीचरों को कोई सलाह देना चाहते हैं।सिर्फ इतना ही अगर वो टीचर अपने विद्यार्थियों की जिज्ञासा शान्त करते तो आज मेरे जैसे कई टीचरों को अवॉर्ड मिलता।

— राकेश कुमार तगाला

राकेश कुमार तगाला

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2 thoughts on “अवॉर्ड

  • राकेश कुमार तगाला

    सर जी।धन्यवाद।

  • डॉ. सदानंद पॉल

    बेहद मर्मस्पर्शी लघुकथा!

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