मै संदिग्ध कोरोना मरीज
बड़ी अजीब है दूनिया , वर्तमान में दूनिया में कोरोना का सक्रंमण तेज गति से फैल रहा है , जिसने सोच ही बदल दी है अब फोन पर किसी से मिलने का समय माँगे वह देता ही नहीं , बिना बताए चले जाओ तो व्यवहार ऐसा कि वह हमें जानते ही नहीं , क्यों आये हो , क्या बात करनी है , कभी जैसे भविष्य में जरूरत पडेगी ही नहीँ ,.सोशल डिस्टेंसिग का मतलब यह नहीं कि सामाजिक , व्यावहारिक दूरी ऐसी रखें कि काम भी न बिगड़े व संक्रमित भी न हो ,.पर लोग तो इस तरह देखते है जैसे मै संदिग्ध कोरोना मरीज हूँ , जिन्हें कोरोना वारियर्स सरकार कहती है लोग उन्हें संदिग्ध कोरोना समझते है , सरकार में बैठे लोग ही सियासत के नाम पर नियमों की धज्जियां उड़ाते है स्वानुशासन तो रहा ही नहीं , नियम से ज्यादा जागरूकता जरूरी है , हमारा स्वास्थ्य हमारी जिम्मेदारी है सरकार इतना कर रही है यह तो सोने पर सुहागा है , गाइडलाइंस का पालन स्वविवेक से कर आपके अपने साथियों , स्वजनो का सहयोग करें , पाबन्दियाँ हमारी अपनी सुरक्षा के लिए है कोई अतिरिक्त लाभ नहीं लिया जा रहा है , न सरकारें दे सकती है ,,, घर में रहे , स्वस्थ रहें , आवश्यकता हो तभी निकले , खूद का ध्यान ही परिवार का ध्यान , समाज का ध्यान है ,, स्वयं को स्वस्थ व सुरक्षित रखे , देश स्वस्थ बनेगा , अब स्वस्थता ही रोजगार का आधार रहेगा ।।
जय हिन्द ।।
== विनोद कुमार जैन वाग्वर