रोशनी
रोशनी
यार,प्रिया तुम भी रोज-रोज नेत्र-दान पर भाषण देना नहीं छोड़ती हो।भगवान ने जिसे जैसा बना दिया है, ठीक है।ये सब पिछले जन्मों का दोष होता है। इसलिए तो इंसान जन्म
से अंधा होता है,और तुम उनके कर्मों के फलों को भोगने में बाधा बन रही हो। प्लीज मुझसे से इस विषय पर बात मत किया करों। प्रिया क्या तुम्हें पता भी हैं कि अगर हम इस
जन्म में अपने नेत्र-दान करेगें तो अगले जन्म में हम भी नेत्र हीन पैदा होगें? मैं अपने नेत्र किसी को दान नहीं करुँगी।
प्रिया ,नैना के इस अंधविश्वास पर हैरान थी कि आज के युग में भी वह इतनी अंधविश्वासी कैसे हो सकती हैं?पर अब वह
उससे इस विषय कोई बात नही करना चाहती थी।
समय गुजरता चला गया।दोनो सहेलियों की शादी हो गई।दोनो अपने परिवारों की जिम्दारियों में खो गई। नैना के पास सब कुछ था। बस एक ही कमी थी।कार दुर्घटना में उसके इकलौते बेटे ने अपने नेत्रों की रोशनी खो दी थी। उसने बहुत से डॉक्टरों से बेटे की आँखों जाँच करवाई।पर कोई रास्ता ना निकला।टोने-टोटके,पूजा-पाठ कुछ भी काम नहीं आ रहा था। डॉक्टरों की आखिरी उम्मीद यही थी कि कोई उसे नेत्र-दान कर दे। इसलिए उसने कई नेत्र-दान संस्थाओं में
बेटे का नाम दर्ज करवा दिया था।नैना को एक संस्था से फ़ोन आया ।आपके बेटे के लिए एक आई डोनर मिल गई,जल्दी आइये। ऑपरेशन कामयाब रहा।बेटे की आँखों की रोशनी लौट आई।प्रिया को ये आँखे जानी-पहचानी लगती थी।उसने संस्था को फ़ोन किया।क्या आप बता सकते हैं, मेरे बेटे को आँखे किसने डोनेट की है? प्रिया के बार-बार आग्रह करने पर उन्होंने डोनर का नाम बता दिया। प्रिया सहगल ।नैना जी हम आपको उनकी फोटो भी भेज रहे हैं।
फ़ोटो देखते ही नैना उसे पहचान गई। उसकी आँखें खुशी से भर आई।उसने उठकर बेटे की आँखे चुम ली।प्रिया, तुमनें मेरे जीवन में रोशनी कर दी हैं।अगले दिन नैना ने अपने परिवार के सभी सदस्यों का नाम नेत्र-दान संस्था में दर्ज करवा दिया।
राकेश कुमार तगाला
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