भारत आर्थिक शक्ति बनने की राह पर
आज भारत ही नही पूरी दुनिया चीन की हरकतों से परेशान है, गौरतलब है कि चीन में 5 मिलियन से ज्यादा लोग अपना रोज़गार खो चुके है वो भी 2020 के शुरुआती दो महीनों में, वस्तुओं की खुदरा बिक्री में एक साल में 20.5% की गिरावट दर्ज की गई हैं। औद्योगिक उत्पादन 13.5% गिरा है, जबकि अचल संपत्ति निवेश उसी अवधि में 24.5% गिरा है। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को इस कोरोना महामारी ने कितना बड़ा झटका दिया है और यही कारण है कि चीन की जनता भी चीन की सरकार से काफी खफा है और उसलिए चीन की सरकार अपनी जनता का ध्यान भटकाने के लिए भारत के साथ बॉर्डर पर ये हरकतें कर रही है। चीन दुनिया का सबसे ज्यादा निर्यात करने वाला देश है, इस मामले में आप चीन की बादशाहत का इस बात से अंदाजा लगा सकते है कि एक साल में 30 करोड़ कंप्यूटर्स पूरे विश्व मे बिकते है, जिसमे से 27 करोड़ चीन में बने होते है जो कि 90 प्रतिसत है। अगर मोबाइल फ़ोन्स की बात करे तो पूरे विश्व में एक साल में 200 करोड़ मोबाइल फ़ोन बिकते है और इसमे से 140 करोड़ फ़ोन्स चीन बनाता है, ऐसे कई उद्धरण है पर कोरोना महामारी के बाद चीज़े बदल रही है। अब कोई देश न तो अपना निवेश चीन में रखना चाहता है और न ही चीन में बनी वस्तुयों में रुचि दिखा रहा है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि जापान ने चीन में किये अपने सारे निवेश को समाप्त करने के आदेश भी दे दिए है और अमेरिकन कंपनिया जिन्होंने चीन में निवेश किया था वो अब भारत का रुख कर रही है।
अब सारी कंपनिया चीन का विकल्प तलाश कर रही है और भारत उन विकल्पों में सबसे आगे चल रहा है और ये बात चीन को बिलकुल पसंद नही आ रही है इसलिए उसने भारत के साथ बॉर्डर पर गतिविधियां तेज़ कर दी है ताकि दुनिया की नज़र में भारत को निवेश के लिए एक असुरक्षित देश घोषित कर सके। कोरोना महामारी के कारण लगभग पूरे विश्व के देश परेशानी में है। नौकरियां जा रही है। लगभग सभी देशें के सकल घरेलू उत्पाद में काफी कमी आयी है । अमेरिका ने तो इस महामारी से लड़ने के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद का 10% से ज्यादा खर्च कर दिया है। और चीन इसी बीच भारत के साथ बॉर्डर पर अतिक्रमण करने की कोशिश कर रहा है ताकि वो दुनिया को अपनी ताकत का लोहा मनवा सके और खुद को दुनिया का सबसे शाक्तिशाली देस बता सके। पूरी दुनिया चीन से खफा है और चीन के खिलाफ सभी देश लामबंद हो रहे है। भारत को भी इस मौके का फायदा उठाना चाहिए और बॉर्डर पर दृढ़ निश्चय के साथ चीन का मुकाबला करना चाहिए। चीन पूरी तरह से घिर चुका है, वो जनता है आने वाले समय मे विश्व व्यापार में उसका प्रभाव काफी कम होने वाला है और भारत के साथ बॉर्डर पर तनाव उसी बोखलाहट का नतीजा है। कुछ राजनीतिक विश्लेषको का मानना है कि रूस भारत के खिलाफ चीन का साथ दे सकता है पर मैं इस बात से सहमत नही हु क्योंकि रूस चीन की मित्रता की वजह अमेरिका को एशिया में अपनी जड़ें मजबूत करने से रोकना है। रूस भी चीन की विस्तारवादी नीतियों से अवगत है क्योंकि चीन का रूस के साथ भी सीमा विवाद है और दोनों देश 1969 में जंग भी लड़ चुके है जिसमे चीन की करारी हार हुई थी। चीन पे रूस और इजराइल के हथियारो की टेक्नोलॉजी चुरा कर कॉपी करने का भी इल्ज़ाम है। जिस दिन अमेरिका और रूस के रिश्ते में सुधार हुआ चीन की उल्टी गिनती चालू हो जाएगी और इसके संकेत भी मिलने लगे है, डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस को G7 में फिर से शामिल करने की बात की है। आपको बता दे कि 2014 में रूस को G7 से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था जब रूस ने क्रीमिया का राज्य हरण किया था, ट्रम्प की ये पहल रुस के यूरोप और अमेरिका के साथ रिश्तों में सुधार ला सकते है जो कि चीन के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
जहां तक रूस और भारत के रिस्ते की बात है तो दोनों के रिस्ते एक सच्चे दोस्त की है, युद्ध तो दूर की बात है दोनों के बीच कोई विवाद भी नही है, बीते कुछ सालों से भारत रूस के हथियारों के साथ साथ अमेरिकन हथियारों का भी आयात कर रहा है पर फिर भी आज रूस भारत का सबसे अच्छा मित्र है। रूस की मीडिया एजेंसी “रशिया टुडे” ने लाइव डिबेट में भारत और चीन के बीच विवादित लदाख की सीमा को भारत का हिस्सा बताया है और चीन के खिलाफ भारत का समर्थन भी किया है ये जानते हुए की ये बात चीन को नागवार गुजरेगा, रूस चीन की जगह भारत को विशव की आर्थिक सक्ति बनते देखना चाहता है क्योंकि रूस जनता है कि भारत हमेसा उसका साथ देगा और रूस से हथियार और पेट्रिलिम की ख़रीद को भी बढ़ाएगा।
रूस ये भी जानता है कि अगर उसने चीन का साथ दिया भारत के खिलाफ तो नई दिल्ली को मजबूरन अमेरिका के खेमे में जाना पड़ेगा और वो एक भरोसेमंद साथी खो देगा।
रूस ये भी जानता है कि चीन की अर्थव्यवस्था जिस तरिके से बढ़ रही है, चीन रूस के लिए भी खतरा बन सकता है क्योंकि चीन और रूस के बीच सीमा विवाद है और रूस चीन की विस्तारवादी नीतियों से पूरी तरह औगत है और उसका नमूना 1969 में चीन के साथ युद्ध मे देख चुका है, पर भारत के साथ ऐसा कुछ नही है।
उम्मीद की जानी चाहिए कि भारत सीमा पर चीन को कड़ा जवाब देगा और आने वाले समय मे भारत विश्व गुरू भी बन सकेगा।
— सोनल सिन्हा
मुंबई
लॉकडाउन अवधि में हमारी औकात का पता चल गया, जब एक राज्य दूसरे राज्य के वासियों, यथा- मजदूर, छात्र, पर्यटक इत्यादि को थोड़े दिन भी खिला नहीं पाये, तो आर्थिक महाशक्ति होने का ढोलक बजाना बेमानी है !