कविता

एक आवाज़ पर्यावरण की

मुझ पर एक अहसान जताओ
मुझ पर तुम कोई जुर्म न ढ़हाओ
मेरे इस अस्तित्व को
कृपया कर तुम ही बचाओ।
मै नहीं तो तुम भी नहीं
अपने लिए तो मुझे बचाओ।
मेरे इन हाथों पर
अपना दम मत दिखाओ।
जब-जब मुझे गुस्सा दिलाओगे
बाद में तुम पछताओगे।
मैं था पहले कितना सुंदर
तुमने मुझे मिटा दिया।
तुमनें ऐसा क्यों किया?
अपने लिए मुझे उजाड़ दिया
आखिरी गुज़ारिश करता हूँ –
कृपया करके मुझे बचाओ।

 

– श्रीयांश गुप्ता

श्रीयांश गुप्ता

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