अखिल भारतीय साहित्य परिषद का द्वितीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन सम्पन्न
96 वर्ष के वरिष्ठ कवि मास्टर प्रताप सिंह ने किया ऑनलाइन काव्यपाठ
*12 वर्ष की बाल कवयित्री शुभांगी शर्मा ने किया ऑनलाइन मंच संचालन*
भवानीमंडी:- अखिल भारतीय साहित्य परिषद भवानीमंडी द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया। कवि सम्मेलन में 36 रचनाकारों ने पर्यावरण संरक्षण और हम विषय पर ऑनलाइन काव्य पाठ कर शानदार प्रस्तुतियाँ दी।
ऑनलाइन कवि सम्मेलन के संयोजक डॉ. राजेश कुमार शर्मा”पुरोहित” ने बताया कि ऑनलाइन कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि देश के प्रसिद्ध कवि एवम बाल साहित्यकार अब्दुल मलिक खान , कवि सम्मेलन में मास्टर प्रताप सिंह ने अध्यक्षता की,विशेष सानिध्य कौशल कुमार शर्मा परिषद अध्यक्ष व निर्मल औदिच्य उपाध्यक्ष का मिला।
ऑनलाइन कवि सम्मेलन का शुभारंभ से पूर्व श्री गणेश पूजन,गुरु पूजा,सरस्वती पूजा के साथ दीप प्रज्वलन कर की।
गणेश वंदना व सरस्वती वंदना शुभांगी शर्मा ने की। शुभांगी ने “वीणा पाणी शारदे माँ हमको तू तार दे सुनाई। गुरु वन्दना डॉ. राजेश पुरोहित ने की। रात 8 बजे से ऑनलाइन कवि सम्मेलन शुरू हुआ ,जिसका समापन रात 11 बजे किया गया।
महावीर जैन ने जिंदगी की चाहतों पर लग गई पाबन्दियाँ प्रस्तुत की। राजेन्द्र आचार्य राजन ने हे नमन इस माँ धरा को। रामप्रीत आनंद ने पेड़ पौधों की तरह जीवन हरा कीजिये। प्रमोद जैन पिन्टू ने पर्यावरण मित्र व्यंग्य रचना प्रस्तुत की।राकेश शर्मा आंवलिकला ने ये गाँव ये शहर रचना सुनाई। मोहम्मद सगीर सागर ने दूर तलक देखो तो छाँव देखते हैं जैसे ठन्डे पानी के लिए कोई गाँव देखते हैं।संजय श्रीमाल नर भौतिक रसायन जैविक से पोषित हो रहे सुनाई।अरुण गर्ग ने ताटक छन्द ,रोला छन्द, ग़ज़ल प्रस्तुत की “धरती भी महरूम हो गई कोमल हरे बिछौने से प्रस्तुत की।शीतल प्रसाद खण्डेलवाल ने हरे भरे लहराते खेत।अमनदीप सिंह ने हर दम हमको घेरे हैं जो।रज्जाक राही ने फ़िज़ाओं में जो रौनकें बहार गुनगुनाते हैं। गीतकार राकेश थावरिया ने “माँ धरती है धन्य धरोहर मिलकर हम सम्मान करें। कवयित्री गीता दुबे ने ” दरख्तों के बीच ते गुफ्तगू जारी है,आज ये कटा कल मेरी बारी है।डॉ. अनिल गुप्ता ने “करें आबाद धरती को करें आबाद कुदरत को सुनाई। आशा रानी जैन आशु सुनेल ने दोहे व गीत सुनाए ” घायल हो धरती करे हमसे यही पुकार,हरे वृक्ष मत काटिये ये धरती का श्रंगार।
निर्मल औदिच्य ने “गगन धरा के बीच मे तरु है छायादार, भीषण आतप कोप से है सदा रखवार।
कवयित्री उर्मिला औदिच्य नियती की लीला अपरम्पार रचना प्रस्तुत की। अब्दुल हमीद भारती उदयपुर पेड़ की दास्तान सुनाई।
दर्शन सिंह होरा ने पेड़ो की छाया में होता पक्षियों का रेन बसेरा सुनाई। विनोद पावेचा ने जो देती थी निर्मल जल है आज वही बहुत मैली हुई। रामनारायण नागर नाचीज़ ने “प्रकृति देखिए निस्वार्थ दान देती है। श्रीकांत ओझा ने आओ वृक्ष लगाएं हम,इस वसुंधरा को,वन उपवन को फिर से आज सजाएं।
कवयित्री राजेश चौरसिया ने “काटकर उन दरख्तों को कत्लेआम तुम करते हो,निडर निर्दयी ये काम भी सरे आम तुम करते हो। पूरनमल सेन ने “छोटा सा संकल्प हमारा देशव्यापी अभियान चलेगा।एक एक पौधा पेड़ बनकर एक जंगल का रूप धरेगा। शोभाराम नागर शोभित ने “हो रही है नष्ट धरती प्रकृति के बहिष्कार में।दिनेश भदौरिया ने “ये पर्यावरण एक सुरक्षा कवच है रचना सुनाई। नम्रता जैन ने विश्व की धरा पर प्रकृतिमान रहेगी।कौशल शर्मा ने “जमीं की खूबसूरती है सायें दरख्तों के,देते हैं सकूँ कितना सायें दरख्तों के।
वर्तिका शर्मा ने हमने दिए है प्रकृति को की गम। मास्टर प्रताप सिंह ने “सहते सहते आहत हीन हुई धरती। शिव जी व्यास ने नवसृजन बीज लिए जब हरि ने। डॉ. शिवशंकर सोनी ने “पेड़ नहीं मेरे दिल पर आरी चल रही है,ओ मानवता के पुजारी तुम क्यों सूखे को बुला रहे हो। अब्दुल मलिक खान ने “लो सुहाना हो गया मौसम। लॉक डाउन के बाद का पकृति चित्रण किया। बाल कवयित्री शुभांगी शर्मा ने “मेरे शहर में हुनर वालों की कमी नहीं है रचना सुनकर वाहवाही बटोरी। देश के ख्यातिनाम कवि व ऑनलाइन कवि सम्मेलन के संयोजक डॉ. राजेश कुमार शर्मा”पुरोहित” ने सुन्दर गीत की प्रस्तुति दी “देख कर धरती का आँचल मन रो रहा। प्रस्तुत कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
ऑनलाइन कवि सम्मेलन का संचालन बाल कवयित्री शुभांगी शर्मा ने किया। रात 11 बजे ऑनलाइन कवि सम्मेलन के समाप्ति की घोषणा की।