“मेहनतकश लोगों के दिल मे भगवान रहा करते हैं।”
मेहनतकश लोगों के दिल मे भगवान रहा करते हैं।
भाव अभाव में जीवन फिर भी इमान रखा करते है।।
अपने ही श्रम से शहर में इमारत बनाये हैं।
अन्न कड़ो के मोती से धरती को सजाये हैं।।
भरी दुपहरी की लू,यह सब कुछ मन सहता है।
सावन-भादो गरज बरस कर इनके तन से बहता है।।
फिर भी श्रम करने की ललक हर पल उद्यत रहते हैं।
मेहनतकश लोगों के दिल मे भगवान रहा करते हैं।।
छांव तरसता जीवन इनका,धूप में ही रह जाते हैं।
पेट की अग्नि में संघर्ष,इतना कैसे सह पाते हैं।।
भूल भुलैया जीवन इनका,क्या कमाया बस भटका जीवन।
पेट-पीठ में अंतर कितना,यही सवाल पर अटका जीवन।।
सब कुछ सदियों से सहते,अरमान की राहों में चलते है।
मेहनतकश लोगों के दिल मे भगवान रहा करते हैं।।