लघुकथा

चमकदार

चमकदार
घर का माहौल काफी गमगीन था।सभी नीमी को बार-बार समझा रहे थे कि वो अपना निर्णय बदल दे।पर वह मानने को तैयार नहीं थी।परिवार के सभी लोग हार चुके थे।वह अपने फैसले पर अडिग थी।माँ कह रही थी, पता नहीं सोनू ने मेरी बेटी को क्या घोल कर पिला दिया है?अब सिर्फ पापा ही कुछ कर सकते हैं, यह उनकी बात कभी नहीं टाल सकती।पापा इसे सबसे ज्यादा लाड़ करते हैं।अगर इसने सोनू से शादी कर ली तो पूरे परिवार की नाक कट जाएगी।पापा सारी घटना को जान कर भी कैसे अनजान रह सकते हैं, भाई चिल्ला उठा?मम्मी मैं पापा से खुलकर बात करूँगा, आखिर उनके मन में क्या चल रहा है?उन्हें पूरा हक है कि वह नीमी को रोक दे।वरना अनर्थ हो जाएगा।क्या हमारी बिरादरी में अच्छे लड़के खत्म हो गए हैं?क्या सोनू ही अकेला कामयाब लड़का रह गया है?मुझें समझ नहीं आता, यह लड़की मान क्यों नहीं रही है?नीमी सभी की बातें सुन रही थी।पापा आप क्या चाहते हैं, प्लीज कुछ तो बोलिए, प्यार करना गुनाह है, या आप भी जात-बिरादरी को मानते हैं?
नहीं, मेरी लाडली।क्या तुम मुझें थोड़ा सा समय दे सकती हो?मैं सोनू के बारे में जानना चाहता हूँ, आखिर उसने तुम्हें ही क्यों चुना? पापा मैने उसे चुना है।पढ़ा-लिखा है, पैसे वाला है।इतनी छोटी उम्र में उसने इतना पैसा कमा लिया है।एक लड़की को और क्या चाहिए?ठीक है। बेटी, थोड़ा सा समय तो चाहिए।
पापा,सोनू की जाँच- पड़ताल में जुट गए।वह जो जानना चाहते थे,जान चके थे।उन्होंने नीमी को अपने पास बिठाया।घर के सारे लोग भी वहीं थे।वह सभी पापा के फैसले का इंतजार कर रहे थे।बेटी,सोनू एक नम्बर का जुआरी है।वह कई बार जेल जा चुका है।पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ कई केस चल रहे हैं।ये सुनकर नीमी के पाँव तले से जमीन निकल गई।उसे यकीन नहीं हो रहा था।पापा ने उसके सामने पुलिस रिपोर्ट की कॉपी रख दी।पर पापा, इससे पहले वह कुछ बोल पाती।बेटी,हर वो चीज जो चमकदार होती है, जरूरी तो नहीं वो सोना हो।नीमी अपनी जिदद पर पछता रही थी।वह पापा के आगे हाथ जोड़कर माफी मांग रही थी।पापा ने उठकर उसे गले से लगा लिया।पापा, अपनी लाडली को सजा दो।किस बात की सजा,बच्चे गलती करते हैं।उन्हें सजा नहीं, सही राह दिखाते हैं।नीमी, पापा को नम आँखों से देख रही थी।
राकेश कुमार तगाला
पानीपत (हरियाणा)
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