लोग
जग सारा इक मंजर पर, एक खौफ है आंखों में
फिर भी मन मैले देखे, हमने लोगों की बातों में
कौन रहेगा कौन बचेगा, सवाल खड़ा दरवाजों में
फिर भी दिल छोटे देखे, हमने लोगों की बातों में
अखबारों के सारे काॅलम, लहू चीख से सने मिले
फिर भी झगड़े होते देखे, हमने लोगों की बातों में
सन्नाटा गहरा पसरा गया, गली मोहल्ले शहरों में
फिर भी डर लूटों के देखे, हमने लोगों की बातों में
भटक रहा कोई दर दर, सिसक रहा कोई सड़कों में
फिर भी चर्चे खोखले देखे, हमने लोगों की बातों में
कुदरत ने तो एक कर दिया, मुल्कों को, इंसानों को
फिर भी भेद पनपते देखे, हमने लोगों की बातों में