लघुकथा

भविष्य

युवा शिक्षक रोहित जल्दी जल्दी अपनी कक्षा की तरफ जा रहा था कि पांडेय जी ने उसको आवाज लगाई ! पांडेय जी वरिष्ठ थे सो रोहित उनके पास गया । पांडेय जी बोले ,” और सुनाओ ! नए नए आये हो स्कूल में ! अपना थोड़ा परिचय भी तो दो ! आखिर हम सब एक साथ ही काम करते हैं । “
” जी सर् ! सब बताऊँगा कभी फुर्सत से ! अभी तो कक्षा का समय हो गया है । ” कहकर वह आगे बढ़ना ही चाहता था कि पांडेय जी बोल पड़े ,” यार इतनी मेहनत किसलिए जब इनका भविष्य अफसरों को ही तय करना है ? बिना रिश्वत के तो ये हमारी तरह शिक्षक भी नहीं बन सकते ! “

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।