मालूम नही
दिन इक और जिया या गुजरा, मालूम नही|
खुद से खुश हूं या खफा खफा, मालूम नही||
सांसे घडी घडी देतीं, गवाही जिन्दगी की|
कितना जिंदा हूँ कितना मरा, मालूम नही||
खरीदी फकीर से कुछ दुआएं, हमने भी|
हुआ सौदे में घाटा या नफा, मालूम नहीं||
छोड पायल उसने, पैरों में घुंघरू पहने|
महज शौक है या इक़्तिज़ा, मालूम नहीं||
चल तो रहा बाजार में, बहुत जोर शोर से|
ये खोटा सिक्का है या खरा, मालूम नहीं||
मासूम निगाहों पर, यूं सब कुछ न लुटा|
उसने किस किसको है ठगा, मालूम नहीं||
कर लिया कुबूल खुशी से, जो भी मिला|
रहमत-ए-खुदा है या सजा, मालूम नहीं||
नज्में तो उसकी, बहुत पाकीजा लगी|
तहखाने दिल में क्या दबा, मालूम नहीं||
इलाजे क़ल्ब को बेकरार, है पलाश मगर|
हकीमे इलाही को रोग क्या, मालूम नही||
क़ल्ब – दिल
इक़्तिज़ा – मजबूरी
इलाही – खुदा