सामाजिक

विश्व को भारत का सर्वोत्तम उपहार योग, इसे करे और रहे निरोग

भारत वर्ष का योग से प्राचीन संबंध रहा हैं।हज़ारों साल पहले भी भारत योग के मामले में प्रथम था और आज भी हैं।योग शब्‍द संस्‍कृत की युज धातु से उत्प्न्न हुआ हैं जिसका अर्थ  एकजुट होना या शामिल होना है। योग से जुड़े ग्रंथ बताते हैं कि जो व्यक्ति योग करता हैं उसकी चेतना ब्रह्मांड की चेतना से जुड़ जाती है जो मन एवं शरीर, मानव एवं प्रकृति के बीच  एक अद्भुत कड़ी जोड़ता हैं। दर्शनशास्त्र हजारों वर्षों के चिंतन-मनन का परिणाम हैं। मुख्य रूप से छः दर्शन हमारे मध्य हैं-
1.पूर्व मीमांसा 2.वेदान्त 3. सांख्य 4.वैशेषिक 5. न्याय एवं 6.योग। योग दर्शन के प्रतिपादक अर्थात प्रणेता महर्षि पतंजलि हैं।महर्षि पतंजलि ने योग के अपने योग सूत्र मे आठ अंग बताए हैं-यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारण, ध्यान और समाधि। उन्होंने कहा हैं-योग मन के भ्रमो की समाप्ति है।यह मन को शान्त रखने का एक अभ्यास है।
भारत हमेशा विश्व कल्याण की भावना रखता है। भारत के प्रयास से यह अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहली बार 2015 में विश्व के कई देशों में मनाया गया। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने योग के लिए एक विशेष दिवस, योग दिवस मनाने की बात संयुक्त राष्ट्र महासभा में 27 सितम्बर 2014 में रखी।उन्होंने योग के लाभ, जीवन में चेतना को जिस प्रकार से अपने भाषण के माध्यम से महासभा को संबोधित किया, उनके विचारों से वहां मौजूद लोग सहमत हुए और यह भारत का इस दिवस को योग दिवस के रूप में मनाने के लिए प्रथम प्रयास माना जाता है। उसी वर्ष 2014 में  साल के अंतिम महीने के 11 तारीख को संयुक्त राष्ट्र में 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को ” अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली अर्थात 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने हेतु घोषित कर दिया गया।तब से 21 जून को योग दिवस के रुप में उत्साह एवं उमंग के साथ मनाया जाता हैं।प्रधानमंत्री श्री मोदी के इस प्रयास की सराहना विश्व के कई जाने माने हस्तियों द्वारा किया गया।सबसे बड़े आश्चर्य की बात ये रही कि भारत के तरफ से किये गए इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा किसी भी दिवस को जो मंजूरी देने में समय लगा है, वो सबसे कम समय हैं। योग दिवस के प्रस्ताव को मात्र 90 दिन के अंदर ही पूर्ण बहुमत से पारित कर दिया गया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अपने भाषण में योग को दुनिया के नाम भारत का उपहार कहा था।
प्रत्येक वर्ष इसे नए थीम (विषय)के साथ मनाया जाता हैं। इस वर्ष का थीम हैं-“घर में रहते हुए अपने परिवार के साथ योग करना”। इस वर्ष कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया बुरी तरह से त्रस्त हैं। यही कारण हैं की लोग सुरक्षित रहे,दूरी बनी रहे आदि तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष योग दिवस के लिए इस विषय को चुना गया हैं।
अब एक प्रश्न मन मे आना स्वाभाविक हैं कि आखिर 21 जून को ही “योग दिवस” के रूप में क्यों चुना गया।भारतीय संस्कृति के अनुसार, सूर्य दो अयन के होते हैं उत्तरायण एवं दक्षिणायन।ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाते हैं। हम सभी जानते हैं कि 21 जून को  साल का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य जल्दी उदित होते है और बहुत देर से ढलते है,यही कारण हैं कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में चुना गया और आज विश्व भर में एक साथ इसी दिन मनाया जाता हैं।
योग विद्या में भगवान शिव को “आदि योगी” तथा “आदि गुरू” कहा गया हैं। भगवान शिव ही हिमालय में कांति सरोवर झील के तटों पर अपने प्रबुद्ध ज्ञान को सप्‍तऋषि को प्रदान किया। सत्‍पऋषियों ने योग को धारण किया और जन कल्याण हेतु इस ताकतवर विज्ञान को विश्व के सम्पूर्ण भागों में पहुंचाया।
योग से बहुत सारे फायदे हैं।हम सभी जानते हैं कि आज बहुत सारे लोग लोग शारीरिक और मानसिक बीमारियों से ग्रस्त हैं।जीवनयापन के लिए दिन-रात भाग-दौड़ लगा रहता हैं।काम का दबाव भी रहता हैं। इन सब कारणों से तनाव बहुत ही तेजी से बढ़ जाता है।उनके जीवन में इतना  तनाव हो जाता हैं कि वो अपनी असल जिन्दगी जिस प्रकार जाना चाहिए, नहीं जी पाते।उस तनाव के कारण अनिद्रा अर्थात सही से नींद नहीं ले पाते।यही कारण है कि आज स्वास्थ्य की सुधार के लिए तरीके और तकनीक खोजे जा रहे है। पर जो योग की महत्ता जानते हैं वो तकनीक के बजाय योग को अपने जीवन का हिस्सा बना रहे हैं।योग तनाव और चिंता को समाप्त करने के लिए सबसे बड़ा इलाज सिद्ध हुआ हैं।इसके द्वारा तन-मन के गंभीर से गंभीर विकारों से भी छुटकारा पाया जा सकता हैं।योग मन को शांत रखता हैं।कार्यो के दबाव के कारण  क्रोध स्वाभाविक हैं,ऐसे में क्रोध पर भी इसे अपनाकर बहुत हद तक नियंत्रण पाया जा सकता हैं।यह दिमाग की एकाग्रता शक्ति को मजबूती प्रदान करता हैं।स्मरण शक्ति को भी यह मजबूती प्रदान करता हैं।हम सभी जब गुरुकुल,विद्यालयों में पढ़ रहे होते हैं पढ़ाई करने से पहले कुछ समय के लिए हमलोगों को योगाभ्यास जरूर कराया जाता रहा हैं।स्मरण शक्ति मजबूत हो,पढ़ाई में मन लगे, एकाग्रता बढ़े यह इसीलिए ही कराया जाता हैं।यह आत्मशक्ति बढाने के साथ-साथ आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है।योग हमसबके मन में चल रहे कई प्रकार के कुविचारों पर विजय पाने में भी सहायता प्रदान करता हैं।
योग कई प्रकार के रोग जैसे ब्लड प्रेशर,ब्लड शुगर,अनिद्रा जैसे अनेक रोगों पर नियंत्रण पाने में अहम भूमिका निभा रहा हैं।इम्यून सिस्टम को बेहतर कर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाने के लिए योग सहायक सिद्ध हुआ हैं। कोरोना के बढ़ते प्रभाव में भी जो सुझाव हम सब के सामने थे की किस प्रकार इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत किया जाए उसमे आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा ही मजबूत करने के उपाय सामने आये।जिसमे सबसे सुगम एवं उत्तम कुछ रहा तो वो योग ही रहा।वजन घटाना,पेट की चर्बी ठीक करना,मांसपेशियों की ताकत बढ़ाना,संक्रामक रोगों से बचाना , स्किन संबंधी रोगों से भी निजात दिलाने आदि के अलावा शरीर का अंदर से बाहर तक ऐसा कोई भी भाग नही हैं जिसे योग से लाभ न मिले।
सूर्य नमस्कार,शीर्षासन,सुप्त वज्रासन,शलभासन सर्वांगासन,सितली,पद्मासन, धनुरासन, उत्तानासन, सुबह-शाम योगनिद्रा और प्राणायाम जैसे अनेकों योग क्रिया को दैनिक जीवन में शामिल कर खुद को दुरुस्त रखा जा सकता हैं। ध्यान रहे योग के अंतर्गत अनेकों प्रकार के आसन एवं प्राणायाम हैं। जिस प्रकार हर रोग की अलग दवा होती हैं उसी प्रकार योग भी शरीर के अलग-अलग भागों को अलग अलग योग करके फायदा लिया जा सकता हैं। बहुत सारे योग, रोगों को लड़ने के साथ आजीवन समाप्त कर देते हैं।आज के खान-पान,रहन-सहन के कारण बढ़ती बीमारियों को दूर कर एक उत्तम जीवन जीने के लिए योग आवश्यक हैं।आइये अपने जीवन को स्वस्थ एवं उत्तम बनाने हेतु योग को अपने जीवन में शामिल करें।
— राजीव नंदन मिश्र (नन्हें)

राजीव नंदन मिश्र (नन्हें)

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