अरिदल जो देखे आँख उठा…..
मन में ज्वाला सी दहक उठे, औ अग्नि नयन से बरसे
अरिदल जो देखे आँख उठा, निज प्राणों को फिर तरसे
देशभक्ति की धार हृदय से,
टप टप टप टप टपके,
हिम प्रदेश में तना खड़ा है,
पलक नहीं वह झपके,
है शत्रु सामने कुटिल बड़ा,
छल आयुध लेकर लपके,
भारत माँ का लाल अड़ा है,
रण कौशल में तपके
निरख तिरंगे को लहराते, वह झूम-झूम कर हरसे
अरिदल जो देखे आँख उठा, निज प्राणों को फिर तरसे
जयचंदों का गिद्ध झुंड है,
घर में भीतर छुपके
करता साजिश की तैयारी
शातिर चुपके चुपके
चाल प्रपंची चलता भीषण
आसतीन में दुबके
गद्दारों का पाप देख कर
भारत माता सुबके
बहुत हुआ ड्रैगन से यारी, है नीर चढ़ा अब सरसे
अरिदल जो देखे आँख उठा, निज प्राणों को फिर तरसे
अनंत पुरोहित ‘अनंत’