कुण्डली/छंद

आसन

आसन प्राणायाम से, देह रहे यह स्वस्थ।
चंचल चितवन शांत हो, आत्मा बने तटस्थ।।
आत्मा बने तटस्थ, मोह माया को छोड़े।
प्रभु सह बढ़ता प्रीत, जगत बंधन को तोड़े।।
कह अनंत कविराय, करो प्रतिदिन पद्मासन।
निज को दो आयाम, सबेरे उठकर आसन।।

*अनंत पुरोहित ‘अनंत’*

अनंत पुरोहित 'अनंत'

*पिता* ~ श्री बी आर पुरोहित *माता* ~ श्रीमती जाह्नवी पुरोहित *जन्म व जन्मस्थान* ~ 28.07.1981 ग्रा खटखटी, पोस्ट बसना जि. महासमुंद (छ.ग.) - 493554 *शिक्षा* ~ बीई (मैकेनिकल) *संप्रति* ~ जनरल मैनेजर (पाॅवर प्लांट, ड्रोलिया इलेक्ट्रोस्टील्स प्रा लि) *लेखन विधा* ~ कहानी, नवगीत, हाइकु, आलेख, छंद *प्रकाशित पुस्तकें* ~ 'ये कुण्डलियाँ बोलती हैं' (साझा कुण्डलियाँ संग्रह) *प्राप्त सम्मान* ~ नवीन कदम की ओर से श्रेष्ठ लघुकथा का सम्मान *संपर्क सूत्र* ~ 8602374011, 7999190954 [email protected]