जीवन
तृष्णा और छल-छदम् मिटाओ |
प्रेमभाव अपने हृदय में जगाओ ||
शुष्क मन को पुष्प सा खिलाओ |
राग द्वेष से सब द्वन्द भगाओ ||
छोटी हो या बड़ी बाधा से मत घबराओ |
भर साहस हर बाधा से तुम लड़ जाओ ||
सदाचार अपनाकर नित आगे बढ़ते जाओ |
नफरत की इस दुनिया में प्रेमरंग बरसाओ ||
स्वार्थ को जागने से पहले ही जलाओ |
निस्वार्थ का कर आह्वान उसे बुलाओ ||
मानवता के पथ पर आगे बढ़ते जाओ |
निज जीवन हर्षोल्लास से जीते जाओ ||
वसुन्धरा को नेक कर्मों से स्वर्ग बनाओ |
राष्ट्र हित तन-मन-धन अर्पण कर जाओ ||
अच्छे कर्मों से जग बगिया मंहकाओ |
निर्भय हो जीवन सुखमय जीते जाओ ||
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा