मोबाइल वानिकी
अद्भुत है मोबाइल वानिकी
तहरीर भी बिन देखे होती है,
तफसील की चलती दुकानें
तफरीह लफ्जों का खेल है ,
दास्ताँ प्यार की उकेर रहे ,
अब संचार की पटरियों पर ,
प्यार बना शब्दों का खेल.,
पर जीवन में न होता मैल ,
घर में भी टंकण से बात ,
नहीं रहा अब मेल मिलाप,
चैट पर अब हो रही सगाई ,
शादी उत्सव है वेबीनार पर ,
दिलचस्प हो गये सब धन्धे ,
अब घर बैठे मिले सब सामान ,
सिमट रही घर में अब दुनिया ,
घर बैठे सब करें काम-काज ,
देख नये परचम कामयाबी के ,
वाहवाही हो रही है जग में ,
बदल गयी कहावत जग की ,
अब घर में नाचा सबने देखा ,
सच है दुनिया जेब में मेरी ,
हर पल साथ मे चलती है ,
साथ नहीं होता बस कोई ,
पर सारी सृष्टि होती है ।।
विनोद कुमार जैन वाग्वर सागवाड़ा