कविता

मुक्तक

“मुक्तक”

बहुत दिनों के बाद मिला है बच्चों ऐसा मौका।
होली में हुडदंग नहीं है नहीं सचिन का चौका।
मोबाइल में मस्त हैं सारे राग फाग फगुहारे-
ढोलक और मंजीरा तरसे तरसे पायल झुमका।।

पिचकारी में रंग नहीं है नहीं अबीर गुलाला।
मलो न मुख पर रोग करोना दूर करो विष प्याला।
चीन हीन का नया खिलौना है मानव का वैरी-
बंदकरो जी हाथ मिलाना न खोलो मुख ताला।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ