गुरु पूर्णिमा पर गुरु को समर्पित प्रार्थना
गुरुवर तुम ही बने सहारा ,जब जीवन छाया अँधियारा ।
अंतर्मन में ज्ञान दीप से ,तुमने फैलाया उजियारा ।
शिक्षक दुविधा हरते हिय की ,मन को नित नव चेतन करते ।
भाव सरस् मन में उपजाकर ,संस्कार हिय भीतर भरते ।
मन नैया जब डगमग डोले ,तब गुरुवर ने पर उतारा ।
अंतर्मन में ज्ञान दीप से ,तुमने फैलाया उजियारा ।।
गुरुकृपा यूँ मिली है मुझको ,तुच्छ धूल भी है अब चंदन ।
ऐसे गुरुवर की सेवा में ,तन मन जीवन पूर्ण समर्पण ।
माता लायी देह जगत में ,गुरु ने दीना ज्ञान अपारा ।
अंतर्मन में ज्ञान दीप से ,तुमने फैलाया उजियारा ।
शिक्षक ही तो विद्यार्थी के ,सदियों से प्रेरणा स्रोत हैं ।
अनुकरण करने योग्य हैं ,पूर्ण ज्ञान से ओत -प्रोत हैं।
सत्य राह चलना सिखलाते ,अभिनन्दन हर ओर तुम्हारा ।।
अंतर्मन में ज्ञान दीप से ,तुमने फैलाया उजियारा ।
जब चिंता मन पड़ी लकीरें ,तब शिक्षक का साथ मिला है ।
शंकाएं निर्मूल भई सब ,सर पर जब गुरु हाथ मिला है ।
श्रद्धा सुमन समर्पित तुमको ,अर्चन वंदन बारम्बारा ।।
अंतर्मन में ज्ञान दीप से ,तुमने फैलाया उजियारा ।
— रीना गोयल