कविता

व्यूह में अभिमन्यु

चक्र व्यूह का गठन हो रहा
फिर से आज विरोधी द्वारा
दुर्योधन शकुनि संग मिलकर
छल बल झोंक रहा है सारा

लेश नहीं है नीति नियम का
द्वार जयद्रथ रोक खड़ा है
पता नहीं अर्जुन का, खोजो,
क्षेत्र छोड़ कर किधर पड़ा है?
घात लगा कर घात हो रहा
अभिमन्यु आघात का मारा
चक्र व्यूह का गठन हो रहा
फिर से आज विरोधी द्वारा

भीष्म द्रोण भी मौन खड़े हैं
चुप्पी साधा कृपाचार्य ने
पाप पुण्य का भेद जानकर
चुना झूठ को कर्ण आर्य ने
कैसा यह विपरीत समय है
उल्टी बहती गंगा धारा
चक्र व्यूह का गठन हो रहा
फिर से आज विरोधी द्वारा

— अनंत पुरोहित ‘अनंत’

अनंत पुरोहित 'अनंत'

*पिता* ~ श्री बी आर पुरोहित *माता* ~ श्रीमती जाह्नवी पुरोहित *जन्म व जन्मस्थान* ~ 28.07.1981 ग्रा खटखटी, पोस्ट बसना जि. महासमुंद (छ.ग.) - 493554 *शिक्षा* ~ बीई (मैकेनिकल) *संप्रति* ~ जनरल मैनेजर (पाॅवर प्लांट, ड्रोलिया इलेक्ट्रोस्टील्स प्रा लि) *लेखन विधा* ~ कहानी, नवगीत, हाइकु, आलेख, छंद *प्रकाशित पुस्तकें* ~ 'ये कुण्डलियाँ बोलती हैं' (साझा कुण्डलियाँ संग्रह) *प्राप्त सम्मान* ~ नवीन कदम की ओर से श्रेष्ठ लघुकथा का सम्मान *संपर्क सूत्र* ~ 8602374011, 7999190954 [email protected]