व्यूह में अभिमन्यु
चक्र व्यूह का गठन हो रहा
फिर से आज विरोधी द्वारा
दुर्योधन शकुनि संग मिलकर
छल बल झोंक रहा है सारा
लेश नहीं है नीति नियम का
द्वार जयद्रथ रोक खड़ा है
पता नहीं अर्जुन का, खोजो,
क्षेत्र छोड़ कर किधर पड़ा है?
घात लगा कर घात हो रहा
अभिमन्यु आघात का मारा
चक्र व्यूह का गठन हो रहा
फिर से आज विरोधी द्वारा
भीष्म द्रोण भी मौन खड़े हैं
चुप्पी साधा कृपाचार्य ने
पाप पुण्य का भेद जानकर
चुना झूठ को कर्ण आर्य ने
कैसा यह विपरीत समय है
उल्टी बहती गंगा धारा
चक्र व्यूह का गठन हो रहा
फिर से आज विरोधी द्वारा
— अनंत पुरोहित ‘अनंत’