बूँद …. बूँद पानी
बादलों की गोद से
उतरती भावनी रसधार
छम -छम….. रिमझिम पायल पहने
नाच – नाच …. आँगन हिलोर
हर्ष करती धरती मुखर
संग खेलती उसके घर
हरीतिमा लहराती धानी चुनर
गीत गाते पत्तों संग हवा
नाचते मोर एक पाँव पे
पीहू शोर मचाते
जो पावस के दिन बरसते
जाने कब किसके शब्द झरे
मेघ जब घनघोर बजे !!!
— पुष्पा त्रिपाठी ‘पुष्प’