इसका हल क्या होगा
बड़ी मुश्किल में हूँ, इसका हल क्या होगा
चिंता में डूबा सोचूँ, आख़िर कल क्या होगा
इमारत ढह जायेगी, आ जाए जो तूफाँ
खोखली हो बुनियाद, महल क्या होगा
रहे बेसब्र, काबू ना रहता, भटकता है
मन सा दुनिया में दूजा, बेकल क्या होगा
शिकायत ना हो कोई, ना हो गिला कोई
खुशी हो दिल को सच्ची, वो पल क्या होगा
मंज़िल है आगे, हारो मत तुम, बढ़े चलो
भले हो कांटे राहों में, चल क्या होगा