सियाराम को भजो
दिन रात सियाराम को भजो |
अनुचित सब कर्म तजो ||
उनकी छवि अति मनोहर |
शीश झुकाओ प्रभु के दर ||
सीताराम उत्तम गुण भंडार |
उनकी जग में कीर्ति अपार ||
हनुमान से सेवक महान |
प्रभुकृपा से मिला सेवा सम्मान ||
सियाराम का स्मरण पुण्यकारी |
तुलसी ने छवि हृदय में उतारी ||
प्रभु की भक्ति बड़ी सहज |
सुन लेते भक्त की हर आवाज ||
सियाराम सद् भाग्य जगायें |
आसुरी सब मोह माया मिटायें ||
दिन रात सियाराम को भजो |
अनुचित सब कर्म तजो ||
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा