कविता – बढ़ चल राही मंज़िल तक
राह में मत रुक तू राही
शैल को तू पार कर।
रुकना कहीं पे जाकर तू
स्वयं की अमिट कहानी छापकर।
लक्ष्य को अपने साध तू
कठिनाइयों को पार कर।
विफलता से मत हार तू
सफलता का तू ध्यान कर।
राह में मत रुक तू राही
शैल को तू पार कर।
विफलताओं से कुछ सीख राही
सुफल पाने की तू चाह रख।
तू लाख विफलता पा भले ही
किंतु निराशा से तू डाह रख।
राह में मत रुक तू राही
शैल को तू पार कर।
यदि थक गया तू हारकर
सताएँगे तुझे स्वजन ताने मारकर।
और यदि आ गया तू
जंग में मैदान मारकर
आदर करेंगे वो ही तेरा
प्रशंसन से तुझको लादकर।
— अभिषेक त्रिपाठी