आयी सुहानी तीज
चली मनाने तीज सखी सब ,झूले डाले बागों में ।
गीत मनोहर छेड़ रही हैं ,मीठे -मीठे रागों में ।।1।।
खेतों में लहराई फसलें ,है बहार चहुँ ओर दिखी ।
बदरा बन चूनर उड़ जाए ,नाचे मन का मोर सखी ।
पवन करे व्यवहार अनूठा ,इतराकर इस मौसम में ।
वसुधा का चुम्बन लें बूँदे ,बलखाकर इस मौसम में ।
गीत खुशी के गूंथे मनवा ,स्वर लहरी के धागों में ।।2।।
चली मनाने तीज सखी सब ,झूले डाले बागों में ।।
प्रीत छलकती इन्ही दिनों में ,दिखे लालिमा गालों पर ।
हिय में सुनती मधुरिम बंसी ,श्याम बजाते अधरों पर ।
कर सोलह सिंगार सजनिया ,मौसम से तकरार करे ।
गए हुए परदेस सजन से ,आने को मनुहार करे ।
केस कमरिया पर लहराए ,ज्यों हरकत हो नागों में ।।3।।
चली मनाने तीज सखी सब ,झूले डाले बागों में ।।
— रीना गोयल