कविता

जो कर सको तो

मुझे भुलाने के तेरे दावे

यकीन कर लो , जो कर सको तो

न देखें मुझको , पलट के आँखें
जहीन कर लो , जो कर सको तो

मेरी सदा पे , न दिल ये धड़के
मशीन कर लो , जो कर सको तो

बेनूर से क्युँ , हैं लब तुम्हारे
जरीन कर लो , जो कर सको तो

समर नाथ मिश्र