दोस्ती…..
जीवन में जब भी है अवरोध आया
बन सखा उसने फिर संग है निभाया
जिंदगी के सफर में मिले तो बहुत है
मगर दोस्ती सा कोई रिश्ता न पाया
दिया है सहारा हमेशा ही मुझको
जमानें ने जब भी मुझे है सताया
मुश्किलें भी आयी मुझे है बहुत सी
सभी मुश्किलों को पर उसने हटाया
हुई है बहुत सी गलतफहमियां भी
मगर प्यार कम होता न देख पाया
हर रिश्ते से बढ़कर होता दोस्ताना
ये एहसास भी तो तुम्हीं ने कराया
जन्म से ही मिले है रिश्ते बहुत से
मगर दोस्त तुझ संग ये मैंने बनाया
हुआ दीन मन तन या धन से में जब भी
बन कृष्ण अश्कों से है पग को धुलाया
सदा दोस्ती में ऐसा होता है जूली
दो जिश्मो में बसता है एक साया।
— जूली परिहार