मुक्तक
रहोगे निराश ,नित सिहर जाओगे
खुश्क पड़े पुष्प- सा बिखर जाओगे
लेकर आशाएँ बढ़ चलो राह पर
सहकर शूल पथ के सँवर जाओगे।
रात में हृदय का दीप कभी तुम बुझने न देना
अपने हौसलों को तुम कभी भी मिटने न देना
धैर्य प्रकाश लाएगा छँटेगी यामिनी काली
आशाओं को स्वयं के उर से बिछड़ने ना देना।
— अनुज पांडेय