राम मंदिर की स्थापना के साथ राष्ट्र मंदिर की स्थापना
कलियुग के भगीरथ के हाथों राम की जन्मभूमि का पुनरुत्थान
सन 1528 का वो दृष्य जिसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने “दोहाशतक” में लिखा वो इतिहास में पढ़ते-पढ़ते भारत की लगभग 20 पीढ़िया परलोक चली गई। लेकिन हर आने वाली पीढ़ी को उस काले अध्याय को अंत करने की प्रेरणा भी देती गई। काल के प्रवाह में कईं उतार-चढ़ाव आए। कईं लोगों संकल्प लेकर राम के धाम चले गये पर राम मंदिर का निर्माण वे अपने जीवन में नहीं देख पाए। लेकिन वर्तमान में जो जीवित है और राम मंदिर की स्थापना के साथ राष्ट्र मंदिर की स्थापना भी देख सकेंगे । 1528 से 2020 तक याने 492 साल का समय निःसंदेह राम में जिनकी आस्था रही उनके लिए वेदना का रहा। पर 5 अगस्त 2020 का दिन ठीक उस दिन की तरह रहा जिस दिन भगीरथ की तपस्या के बाद गंगा धरा पर अवतरण हुआ हो।
इतिहास बताता है कि जिस सूर्यवंश में राम का अवतार हुआ उसी सूर्यवंश के यशस्वी राजा सगर का संकल्प पीढ़ियों बाद भगीरथ के संकल्प के साथ पूरा हुआ और गंगा का अवतरण धरा पर हुआ। हजारों वर्षों की तपस्या का पुण्य फल एकत्रित हुआ तब जाकर गंगा धरती पर उतरी।और जन-जन को मोक्ष प्रदान कर रहीं है तथा आगे भी करती रहेगी।
मोदी जी ने सच कहा -अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का की शुरूआत से पूरा देश रोमांचित है, हर मन उल्लासमय है। पूरा भारत भावुक है। सदियों का इंतजार समाप्त हो गया है। सरयू के किनारे एक स्वर्णिम अध्याय रचा जा रहा है। बरसों से टाट और टेंट के नीचे रह रहे रामलला के लिए अब एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा। टूटना और फिर उठ खड़ा होना, सदियों से चल रहे इस व्यतिक्रम से राम जन्मभूमि आज मुक्त हो गई है। पूरा देश रोमांचित है, हर मन दीपमय है। सदियों का इंतजार आज समाप्त हो गया है।
भारत के भाल पर लगे इस कलंक को मिटाने के लिए अनवरत रूप से प्रयास जारी रहे है। लाखों लोग राम जन्मभूमि के पुनरुत्थान के कार्य में शहीद हो गये, कईंयों के संकल्प आखरी सांस तक पूरे नहीं हो पाए। पर लगता है कि इस कार्य को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों ही होना था। यह काल का निर्धारण था। जो मोदी के हाथों सम्पन्न हुआ। एक भगीरथ सतयुग में गंगा धरती पर लाए थे। और प्रधानमंत्री मोदी कलियुग के भगीरथ है जिनके हाथों राम की जन्मभूमि अयोध्या में राम मंदिर के भूमिपूजन हुआ। 492 साल की चीर प्रतिक्षा का अंत हुआ। राम मंदिर निर्माण की आधारशिला भले ही अयोध्या में रखी गई हो, भूमिपूजन भले ही अयोध्या में किया गया हो, लेकिन भारत के जन मन में राम की स्थापना हुई है। जैसे गंगा कई युगों बाद आज भी पतित पावनी है। वैसे ही राम का यह धाम जनमन में रामत्व की अभिवृद्धि करने वाला होगा।
— संदीप सृजन