देश का जवान
देश रक्षा की खातिर जो अमित बलिदान देते हैं,
चीर सीना हिमालय का शत्रु को मात देते हैं।
कई लाशें दफन है आज भी गुमनाम राहों पर,
मगर भारत की सेवा में यह जीवन वार देते हैं।।
देश भक्ति का यह चोला उतारा जा नहीं सकता,
इनके एहसान का गुणगान गाया जा नहीं सकता।
जिंदगी खूबसूरत मौत के दरिया में रहती है,
फिर भी एक वीर के सर को झुकाया जा नहीं सकता।।
बजी रणभेरी जब रण की अति उल्लास छाया है,
नाम भारत माता का ही जुबां पर आज छाया है।
चले रण में पहन चोला केसरी रण के दीवाने,
लगे त्योहार वीरों का तो जैसे आज आया है।।
गई होली गया सावन गई दीपावली इनकी,
गई है ईद और लोहड़ी जिंदगी कैसी है इनकी।
मनाते हम सभी त्योहार वह इनकी बदौलत है,
आंच हम पर आने दे भले जाए जिंदगी इनकी।।
ना देखा प्यार पापा का ना परवाह मां की ममता की,
रहे खुशहाल भारत मां लाज बच जाए समता की।
हजारों सर इन्होंने बारूद के ढेर में खोए,
कभी उफ तलक नहीं कीनी यही पहचान वीरता की।।
कभी विपदा भी आए तो इन्हें हम याद करते हैं,
कभी आतंक सताए तो इन्हें हम याद करते हैं।
प्रलोभन के बिना करते हैं सेवा देश हित में ये,
देश हित में जान अपनी सदा निसवार करते हैं।।
नदी झरने और पर्वत अभी इनके ठिकाने हैं,
गर्म रेतीली चादर धूल की,सबके दीवाने हैं।
बर्फ पानी और ज्वाला की जलती लौ के आशिक हैं,
ये धरा के सभी उपहार इनके आसियाने हैं।।
लड़ें जब तानकर सीना मौत भी खूब खाती है,
थर्राने लगे धरती रूह भी कांप जाती है।
हिले दुश्मन के नाजुक पैर इनकी दहाड़ को सुनकर,
देश भक्ति मैं पावन होकर इनकी जान जाती है।।
— संजय सिंह