मुहब्बत की रौशनी देखी
तुम्हारी आँखों में मैंने, मुहब्बत की रौशनी देखी
दिखावे से भरी है महफिल, तुझमें सादगी देखी
होठों पे प्यारी मुस्कान और हया से भरी निगाहें
झुल्फे काली रात, चाँद से चेहरे पे चाँदनी देखी
ज़रूरी नहीं के हर बात का इज़हार किया जाए
खामोश हों भले जुबान, आँखों में तिश्नगी देखी
दिल का धड़कना ही ज़िंदा होने का सबूत नहीं
दर्द से भरा न हो ये दिल तो, क्या ज़िंदगी देखी
तुमसे मिलकर मिला ज़िंदगी का मकसद जैसे
इस सूखे दिल में, प्यार की बारिश घनी देखी
उम्रभर तुम्हारे करीब रहने की चाहत है बाकी
इलाही तुम्हारे साथ में, खुदा की बंदगी देखी