कविता

संजा

गांवों में घरो की दीवारों पर
ममता भरा आँचल का अहसास होता
जब मंडती संजा
दीवारें सज जाती गाँव की
और संजा बन जाती जैसे दुल्हन
प्रकृति के प्रति स्नेह को
दीवारों पर जब बाटती बेटियाँ
संजा के मीठे बोल
भर जाते कानों में मिठास
गांव भी गर्व से बोल उठता
ये है हमारी बेटियाँ
शहर की दीवारों पर
टकटकी लगाएं देखती
संजा के रंग और लोक गीत
ऊँची अट्टालिकाओं में
संजा मानों घूम सी गई
लोक संस्कृति की खुशियाँ क्यूँ
रूठ सी गई
लगता भ्रूण हत्याओं से मानों
सूनी दीवारें भी रोने लगी
संजा न रुला बार- बार
संजा मांडने का दृढ़ निश्चय
लोक संस्कृति को अवश्य बचाएगा
बेटियों को लोक गीत अवश्य सिखाएगा
जब आएगी संजा घर मेरे।

— संजय वर्मा ‘दृष्टि’

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /[email protected] 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच